#Symptoms of TB prevention and home remedies. (#टीबी के लक्षण, बचाव, और घरेलू उपचार)
#टीबी रोग क्या हैं जाने?
टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। इसका दूसरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है। यह एक संक्रामक बीमारी है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है, जो मुख्य टीबी का बैक्टीरिया हवा के माध्यम से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के खाँसने, छींकने या उसकी लार के द्वारा बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँचता है। इससे दूसरे लोगों को भी टीबी हो जाती है। अगर किसी व्यक्ति का इम्यूनिसिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है , तो वह व्यक्ति आसानी से टीबी का शिकार हो सकता है। अगर सही तरीके से इलाज न किया जाए, तो टीबी मृत्यु का कारण भी बन सकती है।
#टीबी के लक्षण क्या है?
1. तीन हफ्ते या उससे ज्यादा खांसी टीबी हो सकती है।
2. खांसते वक्त बलगम और खून का निकलना।
3. सीने में दर्द होना।
4. रात में पसीना आना।
5. वजन कम होना।
6. मांसपेशियों में क्षति होना।
7. सांस फूलना।
8. अस्पष्टीकृत थकान।
9. बुखार आना।
#टीबी से बचाव
1. 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर से सलाह लें।
2. टीबी होने पर दवाई का कोर्स पूरा करें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें।
3. मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहें।
4. पौष्टिक खाना खाए।
5. व्यायाम या योग प्रतिदिन करें।
6. बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
7. मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने ससे पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
8. मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद करें।
9. भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
10. बच्चे के जन्म पर बी.सी.जी का टीका लगवाएं।
#टीबी के प्रकार
1. पल्मोनरी टीबी— अगर टीबी का बैक्टीरिया फेफड़ों को संक्रमित करता है तो वह पल्मोनरी टीबी (फुफ्फुसीय यक्ष्मा) कहलाता है। पल्मोनरी टीबी के मरीजों में आमतौर पर खांसी होती है। फेफड़ें से संबंधित क्षय रोग से प्रभावित लोगों का चेस्ट एक्स-रे असामान्य होने के साथ ही संक्रामक हो सकता है। जबकि टीबी के सबसे अधिक मामले फेफड़े में ही होते है, लेकिन यह एक अंग से दूसरे अंग में फैल सकता है।
टीबी एक पुरानी बीमारी है और फेफड़ों के ऊपरी भागों में व्यापक घाव पैदा कर सकती है। फेफड़ों के ऊपरी भाग में होने वाली टीबी को कैविटरी टीबी कहा जाता है। फेफड़ों के ऊपरी भागों में निचले भागों की अपेक्षा तपेदिक संक्रमण प्रभाव की आशंका अधिक होती. इसके अलावा टीबी का जीवाणु कंठ नली को प्रभावित कर लेरिंक्स टीबी करता है।
2. एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी— अगर टीबी का जीवाणु फेफड़ों की जगह शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है, तो इस प्रकार की टीबी एक्स्ट्र पल्मोनरी टीबी कहलाती है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी पल्मोनरी टीबी के साथ भी हो सकती है। अधितर मामलों में संक्रमण फेफड़ों से बाहर भी फैल जाता है और शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित करता है जिसके कारण फेफड़ों के अलावा अन्य प्रकार के टीबी हो जाते है।
एचआईवी से पीड़ित लोगों में एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के लगभग 50% से अधिक मामले पाये जाते है। अगर टीबी का जीवाणु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है तो वह मैनिन्जाइटिस टीबी कहलाती है। लिम्फ नोड में होने वाली टीबी को लिम्फ नोड टीबी कहा जाता है।
3. मिलियरी टीबी— मिलियरी टीबी रोग तब होता है जब ट्यूबरकुलेसिस के बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलेसिस रक्त वाहिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं। फिर ये जीवाणु रक्त प्रवाह के जरिए पूरे शरीर में फैल जाते हैं। यह स्थिति दुलर्भ और बेहद गंभीर होती है। ऐसा सबसे अधिक नवजात और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होता है। इस टीबी का पता किसी भी अंग से लगाया जा सकता है, क्योंकि बैक्टीरिया पूरे शरीर में फैल जाता है समय रहते उपचार न कराने पर यह प्राणघातक हो सकता है.
#टीबी का इलाज— टीबी के इलाज में डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के द्वारा बैक्टीरिया को मारकर टीबी का इलाज करते हैं। ये दवाएं टीबी के हर मरीज को दी जाती है, जिनमें शिशु, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और वे लोग जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है आदि को एंटीबायोटीक दवाएं दी जाती है।
ये इस प्रकार है
1. आइसोनाइजिड
2. इथैमब्यूटोल
3. पिराजिनामाइड
4. रिफैम्पिन
सामान्य टीबी का उपाचर 6-9 महीने में किया जाता है। इन 6 महीनों में पहले 2 महीने आइसोनाइजिड, रिफैम्पिन, इथैमब्यूटोल और पिराजिनामाइड का उपयोग किया जाता है। इसके बाद इथैमब्यूटोल और पिराजिनामाइड ड्रग्स को बंद कर दिया जाता है। 4-7 महीने आइसोनाइजिड और रिफैम्पिन का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही टीबी के इलाज के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन का भी उपयोग किया जाता है।
मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी में फर्स्ट लाइन ड्रग्स प्रभाव खत्म हो जाता है। इसके लिए सेकंड लाइन ड्रग्स का उपयोग किया जाता है जिसमें सीप्रोफ्लॉक्सासिन, लेवोफ्लॉक्सासिन, मोक्सीफ्लोक्सासिन, अमिकासिन, कैनामायसिन और कैप्रीयोमायसिन इत्यादि एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी का इलाज 2 साल तक चलता है एक्सटेनसिवली ड्रग रेजिस्टेंस टीबी का इलाज डॉक्टर की विशेष देखरेख में थर्ड लाइन ड्रग्स द्वारा किया जाता है। एक्सटेनसिवली ड्रग रेजिस्टेंस टीबी का इलाज 2 वर्ष से अधिक समय तक चलाया जाता है। एक्सटेनसिवली ड्रग रेजिस्टेंस टीबी अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है।
#टीबी के इलाज के लिए कुछ घरेलू उपचार
1. लहसुन का प्रयोग— लहसुन में सल्फरिक एसिड पाया जाता है। जो बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करताी है। जिनके कराण टीबी रोग होता है। इसमें एलिसिन और अजोएन भी होते हैं, जो की बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं। इसके साथ ही यह एंटीबैक्टीरियल गुण और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के प्रभाव टीबी के मरीज के लिए बेहद फायदेमंद हैं। लहसुन को आप खाने में डालकर या कच्चा भी खा सकते है।
एक कप दूध में लहसुन की दस गीरी डालने के बाद दूध को अच्छे से उबाले और उबली हुई लहसुन की गीरी को खा लें और फिर दूध को पी लें। यह प्रक्रिया कुछ महीने के लिए इस रोज करने से टीबी को कम किया जा सकता है।
2. ग्रीन टी का प्रयोग— ग्रीन टी भी टीबी के इलाज के लिए बहुत ही फायदेमंद है इसमें एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के गुण मौजूद होते है। इसमें पॉलीफेनोल्स कंपाउंड्स भी होते है जो बैक्टीरिया को कम करते हैं।
सबसे पहले ग्रीन टी की पत्तियों को गर्म पानी में डालकर चाय बना लें। आप इस चाय का सेवन दिन में कम से कम 2-3 बार कर सकते है इससे आप टीबी को खत्म कर सकते है।
3.मोरिंगा की पत्ती का प्रयोग— मोरिंगा (सहजन) की पत्तियों में सूजनरोधी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो फेफड़ों से बैक्टीरिया को खत्म करते हैं जिनकी वजह ससे टीबी का रोग पनपता है। इसके साथ ही सूजन को भी दूर करते हैं। मोरिंगा की फली और पत्तियों में केरोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन सी के भी स्त्रोत होते है।
एक मुठ्ठी मोरिंगा की पत्तियों को एक कप पानी में कुछ मिनट तक उबाले। उबालने के बाद इस मिश्रण को ठण्डा करे लें। फिर इसमें नमक, मिर्च और नींबू का जूस मिला दें। यह नुस्खा बनने के तैयार होने के् बाद आप इसका सेवन सुबह खाली पेट करें। इसका रोज सेवन करने से टीबी के संक्रमण से राहत मिलेगीं।
4. काली मिर्च का प्रयोग— काली मिर्च फेफड़ों को साफ करती है जिसकी मदद से छाती के दर्द से राहत मिलती है जो कि टीबी की वजह से होता है। इसके साथ ही इसमें सुजन रोधी गुण भी पाएंं जाते है। जो सूजन को दूर करते है यह सूजन बैक्टीरिया और कफ के लगातार होने के कारण बढ़ता है।
सबसे पहले आठ से दस ब्लैक पेपरकॉर्न्स को शुद्ध बटर में मिला दें। अब उसमें एक चुटकी हींंग पाउडर डाल दें और मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। अब इस मिश्रण को तीन हिस्सों में बाट लें और हर खुराक को कुछ घंटों के अंतर पर खाएं। ऐसा करने से आपकी टीबी का संक्रमण कम हो जाएगा।
5. आंवला का प्रयोग— आंवला भी टीबी के लिए बहुत ही फायदेमंद है इसमें सूजनरोधी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते है कई पोषक तत्व होने की वजह से ये शरीर को ऊर्जा देता है। और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा स्त्रोत है।
सबसे पहले कुछ आंवले लें और उनके बीजों को बाहर निकाल दें। अब जूसर में आंवले का जूस तैयर कर लें। फिर एक चम्मच शहद इसमें मिलाएं। अच्छे से मिलाने के बाद इस मिश्रण को सुबह खाली पेट पियें।
नोट:— अगर अपको टीबी रोग हो चुका है तो आप सबसे पहले डॉक्टर से सलाह ले और पुरा इलाज करायें। आप इलाज के साथ इन घरेलू नुस्खों का सेवन कर सकते है। घरेलू नुस्खों का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
English translate
# What are TB diseases?
TB is a bacterial disease. Its other name is tuberculosis. It is a contagious disease. It is spread by bacteria called Mycobacterium tuberculosis, which is the main TB bacteria spread through the air. Bacteria reach a healthy person through coughing, sneezing or saliva of an infected person. This causes other people to get TB also. If a person's immunity is weak, then that person can easily become a victim of TB. If not treated properly, TB can also lead to death.
# What are the symptoms of TB?
1. Three weeks or more cough can cause TB.
2. Mucus and bleeding during coughing.
3. Chest pain.
4. Sweating at night.
5. Weight loss.
6. Muscle damage.
7. Shortness of breath.
8. Unexplained fatigue.
9. Fever.
#TB Prevention
1. Consult a doctor if you have cough for more than 3 weeks.
2. Complete the course of medicine in case of TB. Do not stop the medicine without asking the doctor.
3. Patients should be in a well ventilated and well lit room.
4. Eat nutritious food.
5. Exercise or do yoga daily.
6. Avoid bidi, cigarette, hookah, tobacco, alcohol etc.
7. Wear a mask or cover the mouth with a paper napkin before coughing or sneezing every time.
8. Patients spit in one of the plastic bags and put phenyl in it and close it well.
9. Avoid visiting crowded and dirty places.
10. Get the BCG vaccine on the birth of the child.
#Types of T.B
1. Pulmonary TB- If the TB bacteria infects the lungs, it is called pulmonary TB (pulmonary tuberculosis). Pulmonary TB patients usually have a cough. Chest X-rays of people affected by lung-related tuberculosis can be uncommon as well as contagious. While most cases of TB occur in the lungs, it can spread from one organ to another.
TB is a chronic disease and can cause extensive lesions in the upper parts of the lungs. TB occurring in the upper part of the lungs is called cavitary TB. There is a greater possibility of tuberculosis infection effect in the upper parts of the lungs than in the lower parts. In addition, TB bacteria affect larynx TB by affecting the larynx.
2. Extra pulmonary TB - If the TB bacteria affects other parts of the body instead of the lungs, then this type of TB is called extra pulmonary TB. Extra pulmonary TB can also occur with pulmonary TB. In most cases, the infection spreads beyond the lungs and affects other parts of the body, causing TB other than lungs.
More than 50% of cases of extra pulmonary TB occur in people living with HIV. If the TB bacteria affects the central nervous system, it is called meningitis TB. TB occurring in the lymph node is called lymph node TB.
3. Miliary TB - Miliary TB disease occurs when the tuberculosis bacteria Mycobacterium tuberculosis enter the blood vessels. These bacteria then spread throughout the body through the blood stream. This condition is rare and very serious. It most commonly occurs in newborns and children under 5 years of age. This TB can be detected by any organ, because bacteria spreads throughout the body, if not treated in time, it can be fatal.
# TB treatment- In TB treatment,
doctors treat TB by killing bacteria with antibiotics. These medicines are given to every TB patient, including children, children, pregnant women and people whose immune system is weak, etc. Antibiotic medicines are given.
It goes like this
1. isoenzymes
2. Ethambutol
3. Piraginamide
4. Rifampin
Normal tuberculosis is done in 6–9 months. In these 6 months the first 2 months isonazid, rifampin, ethambutol and pyrazinamide are used. Ethambutol and pyrazinamide drugs are then discontinued. 4-7 months of isoenzymes and rifampin are used. In addition, streptomycin injection is also used to treat TB.
Multi-line resistance TB eradicates first line drugs effect. Second line drugs are used in which antibiotics like ciprofloxacin, levofloxacin, moxifloxacin, amikacin, canamycin and capriomycin etc. are used. Multi drug resistance TB treatment lasts for 2 years. Extensively drug resistance TB is treated by third line drugs under the special supervision of a doctor. Extensively drug resistant TB is treated for more than 2 years. Extensively drug resistance TB is highly challenging.
# Some home remedies for treating TB
1. Use of Garlic- Sulfuric acid is found in garlic. Which helps eliminate bacteria. Those who have TB disease. It also contains allicin and azoane, which help prevent bacteria from growing. In addition, its antibacterial properties and immunity enhancing effects are highly beneficial for the TB patient. You can also add garlic or raw food to it.
After adding ten grams of garlic to a cup of milk, boil the milk well and eat the boiled garlic kernel and then drink the milk. TB can be reduced by doing this procedure daily for a few months.
2. Use of Green Tea - Green tea is also very beneficial for the treatment of TB, it has antioxidant and immunity enhancing properties. It also contains polyphenols compounds that reduce bacteria.
First, make tea by putting green tea leaves in warm water. You can consume this tea at least 2-3 times a day, you can eliminate TB.
3. Use of Moringa leaf- Moringa leaves have anti-inflammatory and antibacterial properties that eliminate bacteria from the lungs, causing the disease of chronic TB. Along with this, they also remove swelling. Moringa pods and leaves also have sources of carotene, calcium, phosphorus and vitamin C.
Boil the leaves of a fistulous Moringa in a cup of water for a few minutes. After boiling, cool this mixture. Then add salt, chili and lemon juice to it. After this recipe is ready, you should consume it empty stomach in the morning. Consuming it daily will provide relief from TB infection.
4. Use of black pepper- Black pepper cleans the lungs with the help of which relieves chest pain which is caused by TB. Along with this, anti-inflammatory properties are also found in it. The inflammation which removes inflammation increases due to the frequent occurrence of bacteria and phlegm.
First, mix eight to ten black peppercorns in pure butter. Now add a pinch of asafoetida powder and keep the mixture to cool down. Now divide this mixture into three parts and eat every dose at a difference of few hours. Doing so will reduce your TB infection.
5. Use of Amla - Amla is also very beneficial for TB, it has anti-inflammatory and antibacterial properties, due to having many nutrients, it gives energy to the body. And enhances immunity, Amla is the best source of vitamin C.
First take some amla and take out their seeds. Now keep the juice of gooseberry in a juicer. Then add one spoon of honey to it. Drink this mixture on an empty stomach in the morning after mixing it well.
Note: - If you have got TB disease, then you should first consult a doctor and get complete treatment. You can take these home remedies with treatment. Consult your doctor before consuming home remedies.
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